शिमला। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने हिमाचल पथ परिवहन निगम को घाटे से उबारने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने किसी भी सरकारी कार्यक्रम में हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों की बुकिंग पर 50 फीसदी किराया पहले लेने का नियम लागू कर दिया है। परिवहन निगम के इस प्रस्ताव को निगम के निदेशक मंडल की स्वीकृति के बाद लागू कर दिया गया है।
पहले देना होगा 50 फीसदी किराया
यानी अब हिमाचल में चाहे किसी नेता की रैली हो, या फिर सरकारी कार्यक्रम। एचआरटीसी बसों की बुकिंग करने के लिए उन्हें किराये का 50 फीसदी भुगतान पहले करना होगा। उसके बाद ही निगम अपनी बसें कार्यक्रमों या रैलियों में भेजेगा। परिवहन निगम ने यह फैसला लंबे समय तक पैसों का भुगतान ना होने के चलते लिया है।
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क्यों लिया फैसला
बता दें कि सरकारी कार्यक्रमों, नेताओं की रैलियों और यहां तक की प्रदेश में होने वाले सभी तरह के चुनावों के लिए परिवहन निगम की बसों को लगाया जाता है। लेकिन काम होने के बाद निगम को इन बसों का किराया सालों तक नहीं मिलता है। जिससे परिवहन निगम को लगातार घाटा हो रहा है। ऐसे में अब निगम ने उधार में बसें भेजने से इंकार कर दिया है।
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किस किस पर लागू होंगे नियम
परिवहन निगम ने फैसला लिया है कि अब किसी भी समारोह, कार्यक्रम या रैली के लिए बुक की गई एचआरटीसी की बसों के किराये का 50 फीसदी भुगतान निगम पहले ही ले लेगा। राजनीतिक दल हो या फिर सरकारी विभाग और बोर्ड निगम यह नियम सभी पर लागू होंगे। बसें किस दिन चाहिए, कुल कितना किलोमीटर यह चलेगी, इसका पूरा किराया जोड़ा जाएगा। कुल राशि का 50 प्रतिशत पहले निगम के पास जमा करवाना होगा। उसके बाद ही निगम अपनी बसों को कार्यक्रमों के लिए भेजेगा।
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क्या बोले डिप्टी सीएम
प्रदेश के डिप्टी सीएम और परिवहन मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि बसों की बुकिंग के एवज में एचआरटीसी को बाद में पूरा पैसा नहीं मिलता, जिससे निगम को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसलिए अब बिना एडवांस दिए बसें उपलब्ध नहीं करवाई जाएंगी। यह नियम सभी पर लागू होंगे।
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एचआरटीसी को समय पर नहीं मिले करोड़ों रुपए
बता दें कि पूर्व की भाजपा सरकार ने प्रदेश भर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया था, जिसमें लोगों को लाने और ले जाने के लिए निगम की बसों का इस्तेमाल किया गया, लेकिन उसका पैसा लंबे समय तक निगम को नहीं मिला।
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सूत्रों की मानें तो पूर्व की भाजपा सरकार ने 8.5 करोड़ रुपए समय पर नहीं मिले। इसी तरह से प्रदेश में हुए चुनावों में एचआरटीसी बसों का इस्तेमाल हुआ। चुनाव आयोग का किराया 11.50 करोड़ बना था। हालांकि यह राशि चरणबद्ध तरीके से आ रही है।
सुक्खू सरकार के पास भी चार करोड़ लंबित
वहीं, वर्तमान कांग्रेस सरकार ने एक साल के जश्न का कार्यक्रम धर्मशाला में किया। इसका किराया भी चार करोड़ बना था। निगम का मानना है कि एचआरटीसी बसों का किराया सालों तक विभाग को नहीं मिलता है, जिससे निगम को घाटा उठाना पड़ता है। जिसके चलते ही अब विभाग ने बसों के किराये का 50 फीसदी एडवांस में लेने का नियम लागू कर दिया है।